डॉ. गणेश उपाध्याय ने बजट 2025 पर जताई चिंता, सरकार से सुधारात्मक कदम उठाने की अपील

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डॉ. गणेश उपाध्याय ने बजट 2025 पर जताई चिंता, सरकार से सुधारात्मक कदम उठाने की अपील

किच्छा। भारत सरकार ने बजट 2025 को पेश किया है, जिसे लेकर कई उम्मीदें और चिंताएँ जताई जा रही हैं। इस बजट में सरकार ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं, जिनका उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को गति देना और समाज के हर वर्ग की भलाई सुनिश्चित करना है। प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय ने इस बजट के कुछ पहलुओं पर चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि इस बजट में कुछ ऐसे कदम उठाए गए हैं, जिनसे आम जनता और विभिन्न वर्गों को नुकसान हो सकता है, और इस बजट का प्रभाव पूरी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है।

डॉ. गणेश उपाध्याय ने सबसे पहले करों में वृद्धि पर चिंता जताई, उनका कहना था कि सरकार ने कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर कर दरों में वृद्धि की है। जो महंगाई को और बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि जब करों की दर बढ़ती है, तो इसका सीधा असर जनता की खरीदारी क्षमता पर पड़ता है, और खासकर गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है। डॉ. उपाध्याय का कहना था कि महंगाई के कारण पहले ही कई परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब है, और ऐसे में अगर करों में वृद्धि की जाती है तो इसका असर उनके जीवन स्तर पर प्रतिकूल पड़ सकता है। खासकर दैनिक उपयोग की वस्तुएं, जैसे खाद्य पदार्थ, तेल, गैस और अन्य आवश्यक चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे गरीब और मिडल क्लास के परिवारों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो सकती है।

इसके अलावा सामाजिक कल्याण योजनाओं में कटौती के फैसले पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि यह कदम विशेष रूप से गरीब और जरूरतमंद वर्ग के लिए बेहद निराशाजनक है, क्योंकि इन योजनाओं के जरिए उन्हें सरकार से सहायता मिलती थी। सामाजिक कल्याण योजनाओं का उद्देश्य गरीबों, वृद्धों, और कमजोर वर्गों को सरकारी मदद उपलब्ध कराना है। लेकिन अगर इन योजनाओं का बजट घटाया जाता है तो इससे समाज के कमजोर वर्गों को बहुत परेशानी हो सकती है। डॉ. उपाध्याय ने कहा कि अगर इस बजट में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए मदद कम की जाती है, तो इससे देश में सामाजिक असमानता और बढ़ सकती है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह ऐसे फैसलों से बचें और सामाजिक कल्याण योजनाओं को मजबूत बनाए रखें ताकि कमजोर वर्ग को उचित सहायता मिल सके और उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके।

बजट 2025 में रोजगार सृजन को लेकर भी डॉ. गणेश उपाध्याय ने चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि इस बजट में रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, जबकि देश में बेरोजगारी की दर पहले से ही चिंता का विषय है। सरकार ने कुछ योजनाओं के तहत रोजगार सृजन का प्रस्ताव किया है, लेकिन डॉ. उपाध्याय का मानना है कि ये कदम पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन की दर काफी धीमी हो सकती है, और अगर रोजगार के नए अवसर नहीं उत्पन्न होते तो बेरोजगारी की समस्या और बढ़ सकती है। यह युवा वर्ग के लिए खासतौर पर चिंता का विषय है, क्योंकि उन्हें रोजगार के अवसरों की सख्त आवश्यकता है। अगर रोजगार के अवसरों की कमी रही, तो बेरोजगारी का स्तर और बढ़ेगा, बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए ठोस और ठोस उपाय लागू करे, ताकि युवाओं को रोजगार मिल सके और वे अपने जीवन में आत्मनिर्भर बन सकें।

कृषि क्षेत्र के लिए बजट में कमी को लेकर भी डॉ. गणेश उपाध्याय ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इस क्षेत्र की उपेक्षा देश के लिए बड़ा संकट पैदा कर सकती है। किसानों के लिए पहले से ही कई समस्याएँ मौजूद हैं, जैसे कि कर्ज की बोझिलता, सिंचाई सुविधाओं की कमी और फसलों के उचित मूल्य का अभाव। यदि कृषि क्षेत्र के लिए बजट में कमी की जाती है, तो यह किसानों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। डॉ. उपाध्याय ने कहा कि कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को अधिक निवेश और योजनाएँ लागू करने की जरूरत है, ताकि किसानों की समस्याओं का समाधान हो सके और कृषि क्षेत्र की समृद्धि सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को कृषि संकट से निपटने के लिए नए उपायों की योजना बनानी चाहिए ताकि भारतीय किसान आत्मनिर्भर बन सकें।

स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी बजट में कमी के कारण डॉ. गणेश उपाध्याय ने चिंता जताई। उनका कहना था कि यह दोनों क्षेत्र देश के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, और इन क्षेत्रों में अधिक निवेश की आवश्यकता है। स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के बिना समाज का समग्र विकास संभव नहीं है। यदि इन क्षेत्रों में पर्याप्त निवेश नहीं किया जाता, तो देश के समग्र विकास में रुकावट आ सकती है। डॉ. उपाध्याय ने कहा कि बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए धन का आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि देश के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल सके। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इन क्षेत्रों में आवश्यक सुधार और निवेश के लिए योजना बनाये ताकि भारत का भविष्य मजबूत और आत्मनिर्भर बन सके।

डॉ. गणेश उपाध्याय ने बजट 2025 के कुछ पहलुओं पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की और सरकार से अपील की कि वह इस बजट में सुधारात्मक कदम उठाये। उनका मानना है कि अगर सरकार इन नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान नहीं देती है तो इससे भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उनका कहना है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी वर्ग को नुकसान न हो और समाज के हर वर्ग को इसका पूरा लाभ मिले। इस बजट को लागू करने से पहले इन पहलुओं पर पुनर्विचार और सुधार की आवश्यकता है ताकि भारतीय जनता को इसका पूरा लाभ मिल सके।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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