*”बुलेट” न करे “बैलेट” को दागदार,सीधे जनता बने “भागीदार”

*”बुलेट” न करे “बैलेट” को दागदार,सीधे जनता बने “भागीदार”
*लोस व विधानसभा की तर्ज पर हो जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख का चुनाव
– अपहरण, गुंडई की पर्याय हो गए पंचायत चुनाव
– आला अधिकारी कानून व्यवस्था के लिए बनें पारदर्शी
– अफसर सत्ताधारी पार्टी का ऐजेंट बनने से करें परहेज
(*दिनेश चंद्र पांडेय पत्रकार*)
चम्पावत (उत्तराखंड) : उत्तराखंड में हरिद्वार जिले को छोडकर शेष बारह जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव बीते रोज निपट गए। लेकिन नैनीताल और बेतालघाट के घटनाक्रम ने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बड़ा सवाल छोड़ा है। बुलेट न करे बैलेट व्यवस्था को दागदार इसके लिए पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख का चुनाव लोकसभाऔर विधानसभा की तर्ज पर हो। चुनाव लोकतांत्रिक व्यवस्था के तरह निष्पक्ष व भय रहित हों इसके लिए जिम्मेदार आला अधिकारियों को पारदर्शी कानून व्यवस्था के तहत अपना दायित्व निभाना होगा न कि सत्ताधारी दलों का एजेंट बनकर। ये चुनाव अपहरण,गुंडई का पर्याय न बनें इसके लिए अब इनमें व्यापक सुधार समय का तकाजा है।
यह विचार वरिष्ठ पत्रकार पीटीआई-संवाददाता दिनेश चंद्र पांडेय से बातचीत में युवा,विद्यार्थी, ग्रामीण, मातृ शक्ति, व्यापारी, सरकारी गैर सरकारी कर्मचारी, अफसर,नेता सहित समाज से जुड़े हर वर्ग ने साझा किये। लोगों का कहना है कि उत्तराखंड राज्य में ऐसा नही होता था। यह तो महाराष्ट्र,बिहार, पश्चिम बंगाल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश,हरियाणा,
पंजाब का जैसा अपहरण,
दबंगई, गुंडागर्दी का कल्चर देखने को मिल रहा है। जो देवभूमि को शर्मसार करने वाला है।
*चुनाव में गुंडागर्दी का कोई स्थान नहीं
सेना से सेवानिवृत्त कैप्टेन बिंदु सिंह मौनी कहते हैउत्तराखंड लोगों में देश की रक्षा करने का जज्बा होता है। इसीलिए यहाँ के जांबाज कुमाऊँ गढवाल रेजीमेंट के साथ ही सैन्य और अर्धसैनिक बलों में सेवा देकर देश के लिए प्राणों की आहुत देते है। वे ये नहीं चाहते है कि देवभूमि में बैलेट की लोकतंत्रीय व्यवस्था में बुलेट दागदार बने। यदि कहीं कोई बुलेट चले तो वह असहाय, महिला,शोषित, वंचित, पीड़ितों की रक्षा के लिए ढाल बने । चुनाव जैसे लोकतांत्रिक पर्व में गुंडागर्दी का कोई स्थान नही होना चाहिए।
*धनबल बाहुबल चिंता का विषय
पूर्व ब्लाक प्रमुख मंजू तड़ागी का कहना है जिस तरह से पंचायत चुनाव में घनबल और बाहुबल बढ रहा है यह चिंता का विषय है। इसके लिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख का चुनाव लोकसभा और विधानसभा की तरह जनता के बीच होना चाहिए। जिससे सदस्यों को अपहृत करने, कब्जे में लेने, खरीद फरोख्त करने जैसी आपराधिक गतिविधियां बंद होगी और जो व्यक्ति जनता का पसंदीदा होगा वही चुना जाएगा।
*अफसर निष्पक्षता से कानून के दायरे में काम करें
सेवानिवृत मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भगवत प्रसाद पांडेय कहते है कि सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों को संविधान और कानून के दायरे में अपने कर्तव्यों का बेहतरी से निर्वहन करना चाहिए। उनकी जिम्मेदारी आम जनता के प्रति ज्यादा होनी चाहिए। सत्ताधारी दलों के ऐंजेंट की तरह काम करने से पद की गरिमा ही नष्ट नही होती अपितु जनता के बीच अधिकारी की छवि को भी बट्टा लगता है।
*उत्तराखंड राज्य को बचाना जरूरी
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी जुझारू नेता एडवोकेट नवीन मुरारी भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बढ रहे अनैतिक तरीकों से खिन्न है। उनका मानना है कि पंचायतें गांव की सरकार होती है। ऐसे में उन संधर्षशील लोगों को पदों में आना चाहिए जो क्षेत्र और लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रशासन और शासन के नुमाइंदों से बेहतर पैरवी कर उनका निराकरण करा सके। इसके लिए अध्यक्ष और प्रमुख के पदों का चुनाव जनता करे। वैस उत्तराखंड राज्य की अवधारणा राज्य गठन के बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। अब तो उत्तराखंड को बचाना पहली जरुरत है। यहां के संसाधन युवाओं के लिए रोजगार का जरिया बनें,पलायन रुके,उजड़ रही खेती बचे, जल,जंगल,जमीन बचे। माफियाओं और बाहरी कंपनियों-ठेकेदारों के चुंगल से राज्य को बचाया जाये यह जरुरी है।
*ग्रामीण मतदाता चुनें जिप अध्यक्ष व प्रमुख
आरसेटी के पूर्व निदेशक जनार्दन चिलकोटी का मानना है कि जिस तरह निकाय चुनाव में पार्षद, सभासदों के साथ मेयर और अध्यक्ष का चुनाव होता है। उसी तरह त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख का चुनाव भी ग्रामीण मतदाता करें । इससे उस पद वही चुना जाएगा जो जनता की पसंद होगा। साथ ही धनबल, बाहुबल पर अंकुश लगेगा और इन चुनावों में गुंडागर्दी रुकेगी।
*स्नातक हो अध्यक्ष और प्रमुख
पहली बार पंचायत चुनाव में वोट देने वाले युवा उत्कर्ष का कहना है कि ग्राम प्रधान व सदस्यों के लिए हाईस्कूल की योग्यता तो ठीक है परंतु जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के लिए योग्यता स्नातक हो साथ ही इनका चुनाव आम जनता के वोट से हो |
*महिलाए खुद संभाले कामकाज
बेरोजगार और प्रतियोगी परिक्षा की तैयारी कर रहे राहुल कुमार कहते है कि पहले तो पंचायत में जो महिलाए चुनी जाती है उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने का मौका मिले |
अकसर देखा जाता है कि महिला केवल रबर स्टैंप बनी रहती है और उसके परिजन ही सारा कामकाज सभांलते हैं
जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख का चुनाव जनता करे इसके लिए सरकार को पंचायत राज व्यवस्था में जरूरी संशोधन करना चाहिए।
*पंचायत चुनाव से गांवों में बढ रही रंजिश*
खिमुली आमा की पीढा अलग है।वे कहती है कि पंचायतों में चुनाव नहीं होने चाहिए ये चुनाव गांव गांव रंजिश पैदा कर रहे है शराब पैंसे से लड़के बिगड़ रहे है
चुनाव में हार जीत के बाद लड़ाई झगड़े बढ़ जाते है सरकार को चाहिए वह सभी पदों पर मनोनयन करे।

