मॉडल जिले के कण-कण में होते हैं देवाधिदेव शंकर के दर्शन। मानसरोवर तीर्थ यात्री होंगे यहां के ब्रांड एंबेसडर

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विलुप्त हुई सप्तकोषी परिक्रमा को पुनर्जीवित कर इसमें मानसरोवर तीर्थ यात्रियों को भी शामिल किए जाने से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी मॉडल जिले की-जिलाधिकारी।

मॉडल जिले के कण-कण में होते हैं देवाधिदेव शंकर के दर्शन। मानसरोवर तीर्थ यात्री होंगे यहां के ब्रांड एंबेसडर।

चंपावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पना का मॉडल जिला पर्यटन, इको पर्यटन एवं साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में तो नए आयाम छूता जा रहा है। अब धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में नए आयाम जुड़ते जा रहे हैं। जिलाधिकारी मनीष कुमार ने जिले के ओझल मंदिरों व धार्मिक यात्रा मार्गों के संबंध में खोज बीन करने के बाद उनका इरादा यहां विलुप्त हो चुकी शिव भक्तों की सप्तकोशी परिक्रमा को पुनर्जीवित करने का प्रयास है तथा मानेसर को प्रतिवर्ष मानसरोवर यात्रा में आने वाले तथा सप्तकोशी यात्रा करने वालों का पड़ाव बनाकर इस यात्रा की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना है। वैसे पुराणों के अनुसार पहले मानसरोवर तीर्थ यात्रियों का लोहाघाट के रिशेश्वर मंदिर की धर्मशाला में पड़ाव हुआ करता था।

जहां सुबह यात्री यहां के सूर्य कुंड में स्नान कर यात्रा में निकलते थे। यदि सप्तकोशी परिक्रमा को पुनर्जीवित करना है तो मानेसर में मानसरोवर तीर्थ यात्रियों के लिए कम से कम 60 लोगों के ठहरने, ध्यान करने की व्यवस्थाओं को अंजाम देना होगा। मानेसर ऐसा दिव्य स्थल है जहां अर्जुन ने अपने गांडीव से मानसरोवर के जल का आवाहन कर इस स्थान में तीर मार रहा था। जहां जलधारा फूट पड़ी थी और यही जल आज यहां शिव शक्ति का अभिषेक करता आ रहा है।

इस बीच राज्य सरकार द्वारा जिन मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए 4.70 करोड रुपए की स्वीकृति दी है। उसमें सप्तकोषी परिक्रमा के सभी सातों मंदिर शामिल नहीं है। यदि सप्तकोशी परिक्रमा को पुनर्जीवित करना है तो वर्तमान स्वीकृतियों में संशोधन करने की तात्कालिक आवश्यकता है। वैसे सप्तकोषी परिक्रमा की परिधि में हरेश्वर, रिसेश्वर, डिप्टेश्वर, क्रांतेश्वर, मलाडेश्वर, ताड़केश्वर, मानेश्वर मंदिरो की परिक्रमा की जाती है। जिलाधिकारी का कहना है कि मानसरोवर तीर्थ यात्रियों की यात्रा में यदि हम उक्त सातों शिवधामों की परिक्रमा शामिल करते हैं। तो इससे मानसरोवर तीर्थ यात्री जहां हमारे ब्रांड एंबेसडर बनेंगे वहीं इससे मॉडल जिले की राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनेगी ।
सप्तकोशी परिक्रमा के लिए अन्य लोगों को विशेष अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। जिससे उनका यहां आने का क्रम बना रहेगा।

यह सब काम करने के लिए डीएम को भेजा है महादेव ने- धर्मदास जी

चंपावत। मानेश्वर पीठ के पीठाधीश्वर बाबा धर्मराज जी महाराज का कहना है कि भगवान शिव के मंदिरों की सप्तकोषी यात्रा पुनर्जीवित करने एवं इस यात्रा में मानसरोवर यात्रियों को शामिल करने की जिस सोच से जिलाधिकारी काम कर रहे हैं। लगता है भगवान शंकर ने ही उन्हें इस कार्य के लिए भेजा हुआ है।

फोटो_ मानेश्वर महादेव की शिव शक्ति जहां मानसरोवर के जल से होता है अभिषेक। इनसेट में बाबा धर्मदास जी।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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