मसूरी में बढ़ते आवारा कुत्तों से लोग परेशान, नगर पालिका से नसबंदी केंद्र खोलने की मांग तेज़

मसूरी में बढ़ते आवारा कुत्तों से लोग परेशान, नगर पालिका से नसबंदी केंद्र खोलने की मांग तेज़
रिपोर्टर सुनील सोनकर
पहाडों की रानी मसूरी में इन दिनों आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से जूझ रही है। शहर के बाजारों, स्कूलों और रिहायशी इलाकों में ये कुत्ते झुंड बनाकर घूमते नजर आते हैं, जिससे स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालात ऐसे हो चुके हैं कि लोग सुबह-शाम सड़कों पर निकलने में असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कई बार ये आवारा कुत्ते राह चलते लोगों पर झपट पड़ते हैं। खासतौर पर छोटे बच्चे और बुज़ुर्ग इसके शिकार बनते हैं। कई लोगों को इन कुत्तों ने काट भी लिया है, जिससे उनका इलाज करवाना पड़ा। बच्चों को स्कूल भेजने में डर लगता है,एक स्थानीय निवासी ने कहा कि कई बार कुत्ते बाइक या स्कूटर सवारों के पीछे दौड़ जाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होने की संभावना बढ जाती है।
स्थानीय नागरिकों ने नगर पालिका पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। आवारा कुत्तों की नसबंदी और पुनर्वास के लिए न तो कोई स्थायी योजना है और न ही आवश्यक संसाधन। नाराज़ नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने अब नगर पालिका से माँग की है कि मसूरी में जल्द से जल्द एक स्थायी पशु जन्म नियंत्रण केंद्र (एबीसी कंट्रोल संेटर) को जल्द षुरू किया जाये। इस केंद्र में न सिर्फ कुत्तों की नसबंदी की जा सके, बल्कि घायल या बीमार कुत्तों का उपचार भी संभव हो।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, हम किसी जानवर के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जब उनकी संख्या अनियंत्रित हो जाए और वे लोगों की जान-माल के लिए खतरा बनने लगें, तब प्रशासन का दखल ज़रूरी हो जाता है। मसूरी में हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे जुड़ी घटनाएं शहर की छवि को नुकसान पहुँचा सकती हैं। अगर यह समस्या समय रहते नहीं सुलझाई गई, तो आने वाले समय में पर्यटन पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। स्थानीय लोगों की लगातार मांगों और शिकायतों के बाद अब निगाहें नगर पालिका प्रशासन पर टिकी हैं। देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर समस्या को कितनी प्राथमिकता देता है और क्या जल्द ही कोई ठोस कदम उठाया जाता है या नहीं।

