बधाईयां……न शोर, न खर्चा, न वोट मांगने घर – घर दस्तक कर्नल साहब (रिटा.) निर्विरोध को गांव की कमान

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बधाईयां……न शोर, न खर्चा, न वोट मांगने घर – घर दस्तक कर्नल साहब (रिटा.) निर्विरोध को गांव की कमान

उत्तराखंड(पौड़ी)। पंचायत चुनावों की हलचल के बीच वीरोंखाल ब्लॉक के एक गाँव ने एक अनोखी मिसाल पेश की है l ग्राम प्रधान पद पर कर्नल (रिटा.) श्री यशपाल सिंह नेगी को उनके ग्रामवालों ने निर्विरोध चुना है।

आज जब हर पंचायत चुनाव में पोस्टर, नारों, गुटबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप की होड़ लगनी शुरू होने वाली है,ऐसे समय में यदि कोई बिना प्रचार, बिना होड़, बिना वादे – सिर्फ सम्मान से प्रधान चुना जाए,तो यह उस व्यक्ति की नैतिक पूँजी और सामाजिक विश्वसनीयता की सबसे बड़ी जीत होती है।

कर्नल नेगी जी ने कोई पद नहीं माँगा ,बल्कि गाँववालों ने उन्हें ससम्मान यह पद सौंपा है l हालाँकि प्रधान का पद उनके व्यक्तित्व के अनुरूप उतना उपयुक्त नहीं है ,लेकिन ये उनका बड़प्पन है कि उन्होंने गाँववासियों के सामूहिक आग्रह का मान रखते हुए सहर्ष स्वीकार किया l

रिटायर्ड कर्नल यशपाल नेगी जी का निर्विरोध अपने गाँव में प्रधान पद पर चयन केवल एक पद की प्राप्ति नहीं है यह उनके जीवन मूल्यों, सादगी और गाँव के प्रति उनकी जीवंत प्रतिबद्धता की स्वीकृति है।

सेना से सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतर लोग शहरों या आराम की जिंदगी की ओर मुड़ते हैं। लेकिन कर्नल नेगी ने अपनी वापसी को गाँव के पुनर्जीवन में बदल दिया।उनका पहला काम – बंजर पड़े खेतों को हरा-भरा करना। नारेबाज़ी नहीं, ऑर्गेनिक खेती और बागवानी के ज़मीनी प्रयोग से l

जहां दूसरों ने खेती से मुँह मोड़ा, वहीं उन्होंने खेती को भविष्य बनाया।जहां लोग पलायन को मजबूरी मानते हैं, वहीं उन्होंने पलायन को चुनौती बना दिया।आज वे प्रगतिशील किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

आज उनके गाँव ने सिर्फ एक प्रधान नहीं चुना, बल्कि एक संरक्षक, मार्गदर्शक और कर्मठ सेवक को अपनाया है।

इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि गाँवों में आज भी विवेक, मूल्य और सच्चे नेतृत्व की पहचान ज़िंदा है।जब समाज खुद आगे आकर नेतृत्व को सौंपता है, तो लोकतंत्र सबसे सशक्त होता है।

ऐसे जनसेवक को नमन और उनके गाँववासियों कोशुभकामनाएं, जिन्होंने दिखा दिया कि अच्छा नेतृत्व अभी भी सम्मान से चुना जा सकता है — बिना शोर, बिना वोट, बिना स्वार्थ के l

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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