आम नागरिक द्वारा भारत सरकार से मांग की जा रही है कि लगभग 15 वर्ष की आयु तक के बच्चों के आधार कार्ड में सुधार के अवसरों की संख्या बढ़ायी जाये ताकि बच्चों की पढ़ाई, छात्रवृत्ति, एडमिशन में उनकों दिक्कतें न आयें

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आधार कार्ड भारतीय नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। कई बार इसमें नाम, जेंडर या पते में त्रुटियां हो जाती हैं। UIDAI ने इन बदलावों के लिए कुछ नियम बनाए हैं।

एड्रेस में बदलाव
जिसमें आधार कार्ड में एड्रेस बदलने की कोई सीमा नहीं है। आप कितनी भी बार अपना एड्रेस अपडेट करा सकते हैं।

नाम में बदलाव-
नाम में बदलाव केवल दो बार किया जा सकता है। यदि कोई विशेष परिस्थिति है, तो UIDAI की क्षेत्रीय शाखा से अनुमति प्राप्त की जा सकती है।

आधार कार्ड में जेंडर और डेट ऑफ बर्थ का बदलाव-
आधार कार्ड में जेंडर और डेट ऑफ बर्थ (जन्मतिथि) को जीवन में केवल एक बार बदला जा सकता है।
भारत सरकार द्वारा समय समय पर जारी निर्देशों के बावजूद आधार सम्बन्धी दिक्कतें समाप्त होने का नाम नहीं ले रही हैं। गरीब और कम पढ़े लिखे लोगों के साथ अत्यधिक दिक्कतें सामने आ रही हैं।

शुरूआत में जब लोगों ने अपने आधार कार्ड बनवाया तो आधार कार्ड सेंटर पर कर्मचारियों ने भारी अनिताएं करते हुए आधार कार्ड में तमाम गलतियां करती कर दी। समय के साथ जब आधार कार्ड स्वामी को विभिन्न काग़जी कार्यों में आधार कार्ड के इस्तेमाल की जरूरत हुई तो कार्ड में गलतियों का अम्बार मिला। यह किसी एक आधार कार्ड स्वामी की कहानी नहीं बल्कि लगभग 70 प्रतिशत लोगों का यही हाल है। आधार केंद्र पर सही करवाने में लम्बी कतारें और लूट खसोट के साथ जल्दबाजी में आधार कार्ड सुधारने में लापरवाही के कारण आधार कार्ड स्वामी बार बार आधार केंद्र के चक्कर काट रहे हैं। भारत सरकार की गाइडलाइंस और आधार केंद्र पर बेवकूफ कर्मचारियों द्वारा उटपटांग काम कर जरूरी सुधार के लिए सरकार द्वारा दिए गए मौके भी समाप्त कर दिये हैं। अब आधार कार्ड स्वामी दर दर की ठोकरें और धक्के खा रहा है।

आम नागरिक द्वारा भारत सरकार से मांग की जा रही है कि लगभग 15 वर्ष की आयु तक के बच्चों के आधार कार्ड में सुधार के अवसरों की संख्या बढ़ायी जाये ताकि बच्चों की पढ़ाई, छात्रवृत्ति, एडमिशन में उनकों दिक्कतें न आयें।

साथ ही लोगों ने मांग की है कि आधार सेंटरों द्वारा दो बार से अधिक जन्मतिथि एवं नाम में बदलाव के लिए स्थानीय स्तर पर सुधार नहीं होने पर दिल्ली भेजा जा रहा है। परन्तु उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में गरीब आम आदमी , वृद्ध, विकलांग, महिलाएं एवं बच्चे दिल्ली जाने में असमर्थ हैं।सरकार को चाहिए कि दिल्ली जाकर आधार कार्ड सही कराने के स्थान पर तहसील कार्यालय पर माह में 1 दिन निर्धारित कर आधार कार्ड में सभी आवश्यक बदलाव एवं सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा व्यवस्था की जानी चाहिए।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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