चंपावत: वित्तमंत्री ने आम लोगों के हितों का किया है संरक्षण – डॉ सी डी सूंठा

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बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत के साथ अर्थव्यवस्था में उपभोग एवं निवेश आधारित विकास को प्रोत्साहन

वित्तमंत्री ने आम लोगों के हितों का किया है संरक्षण – डॉ सी डी सूंठा

चम्पावत। केन्द्र सरकार के द्वारा संसद में प्रस्तुत आगामी वित्तीय वर्ष के बजट प्रस्तावों में मध्यम वर्ग को आय कर में बड़ी राहत दी गयी है। प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ सी डी सूंठा के अनुसार वित्त मन्त्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में घोषणा करते हुए बताया कि अब 12 लाख रूपये तक की आय पर कोई कर नहीं देना होगा।

वेतनभोगी करदाताओं को 12.75 लाख तक की सालाना आय पर पर कोई कर नहीं देना होगा। इस प्रकार नए कर ढांचे के अर्न्तगत 1 लाख रूपये तक की औसत मासिक आय की आय पर कोई कर नहीं देना होगा। विगत वर्ष तक 7 लाख रूपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं देना होता था। उन्होंने कहा कि विशिष्ट कर दरों वाली आय जैसे पूँजीगत आय इससे प्रभावित नहीं होगी। बजट में नये कर ढांचे के अर्न्तगत कर की दरों को भी परिवर्तित करते हुए करों के स्लैब भी बदले गये हैं।

अब बजट में नये कर ढांचे के अर्न्तगत 4 लाख की आय पर शून्य, 4 से 8 लाख तक की आय पर 5 प्रतिशत, 8 से 12 लाख तक की आय पर 10 प्रतिशत, 12 से 16 लाख तक की आय पर 15 प्रतिशत, 16 से 20 लाख तक की आय पर 20 प्रतिशत, 20 से 24 लाख तक की आय पर 25 प्रतिशत तथा 24 लाख से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगेगा। इस परिवर्तन के बाद नये कर ढांचे के अर्न्तगत 12 लाख रूपये तक की आय कमाने वाले करदाताओं को 80,000 रूपये, 18 लाख रूपये तक की आय कमाने वाले करदाताओं को 70,000 रूपये, और 24 लाख रूपये तक की आय कमाने वाले करदाताओं को 1,10,000 रूपये की सालाना राहत मिलेगी।

इस राहत के फलस्वरूप सरकार पर प्रत्यक्ष करों में 1 लाख करोड़ और अप्रत्यक्ष करों में 2,600 करोड की कर आय का सालाना बोझ पड़ेगा। कुल मिलाकर इस राहत से खर्च करने योग्य आय में वृद्धि हो जाने से उपभोग में भी वृद्धि होगी, अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी और उत्पादन के साथ ही व्यवसाय एवं रोजगार में गति आयेगी। दूसरी ओर अतिरिक्त आय से निवेश भी बढ़ेगा जिसका विकास दर पर भी सकारात्मक प्रभाव होना संभावित है। कुल मिलाकर बजट में बुनियादी ढांचे की अपेक्षा उपभोग,मांग एवं निवेश को अधिक प्रोत्साहन के द्वारा विकास दर को आगे ले जाने की व्यूहनीति परिलक्षित होती है तथा बजट में हर वर्ग के हितों का संरक्षण किया गया है।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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