जोशीमठ में हिमस्खलन: 54 मजदूर फंसे, 8 की मौत, बचाव कार्य पूरा

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जोशीमठ में हिमस्खलन: 54 मजदूर फंसे, 8 की मौत, बचाव कार्य पूरा

उत्तराखंड के जोशीमठ में 28 फरवरी को हुए भीषण हिमस्खलन में 54 मजदूर फंस गए, जिसमें 8 मजदूरों की मौत हो गई। यह हादसा सुबह 8:30 बजे तहसील जोशीमठ के अंतर्गत माना गेट बीआरओ कैंप के समीप हुआ, जब मजदूर निर्माण कार्य में लगे थे। घटना के तुरंत बाद राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया, जिसमें सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें जुट गईं। रेस्क्यू ऑपरेशन में GPR (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार), थर्मल इमेजिंग कैमरा, RRSaw (Rotary Rescue Saw), ड्रोन कैमरे, और डॉग स्क्वॉड जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया। सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की संयुक्त टीमों ने राहत कार्य में योगदान दिया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की निगरानी में राहत कार्य तेजी से चलाया गया। बचाव दलों ने 2 मार्च तक चार और शव बरामद किए, जिससे मृतकों की संख्या 8 हो गई। बचाए गए 46 मजदूरों में से 44 का इलाज जोशीमठ के ज्योतिर्मठ स्थित सेना अस्पताल में किया गया, जबकि दो को गंभीर हालत में ऋषिकेश रेफर किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चार बार हवाई सर्वेक्षण किया और मौके पर जाकर बचाव कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने सभी एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे समन्वय के साथ काम करें और घायलों का समुचित इलाज सुनिश्चित करें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार इस पूरे ऑपरेशन पर नजर बनाए रहे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र सरकार से हरसंभव मदद सुनिश्चित की। गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय लगातार राज्य सरकार के संपर्क में रहे। मुख्यमंत्री ने इस पूरे अभियान के दौरान मीडिया की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि मीडिया ने तथ्यात्मक रिपोर्टिंग से भ्रम फैलने से बचाया और राहत कार्यों को गति देने में सहायता की।

मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन विभाग, पुलिस, एसडीआरएफ, आर्मी और प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग की सराहना की। उन्होंने सलाहकार समिति, आपदा प्रबंधन विभाग, डीजीपी दीपम सेठ, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव पंकज कुमार पांडे, आईजी संजय गुंज्याल, एसडीआरएफ कमांडेंट सिद्धिम अग्रवाल सहित अन्य अधिकारियों का धन्यवाद किया। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि सभी घायलों के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी। मुख्यमंत्री ने मृत मजदूरों के परिवारों को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।

यह अभियान अब पूर्ण हो चुका है, लेकिन इस त्रासदी ने जोशीमठ में निर्माण कार्यों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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