जन्म दिवस पर विशेष: अथाह मेहनत और अनंत समर्पण का दूसरा नाम अमिताभ बच्चन

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जन्म दिवस पर विशेष: अथाह मेहनत और अनंत समर्पण का दूसरा नाम अमिताभ बच्चन

‘अमिताभ बच्चन बहुत दम है इस नाम में’ यह स्टेटमेंट एक बार स्वयं अमिताभ ने ही दिया था,हालांकि वे कभी इस तरह की आत्मप्रशंसा करते नहीं है लेकिन एक दिन लाइट मूड में उन्होंने यह बात कही थी और वह भी तब जब वे अपनी कंपनी के लिए कोई नाम ढूंढ रहे थे और आखिर में सबने तय किया कि कंपनी का नाम अमिताभ बच्चन के नाम पर ही रखना चाहिए क्योंकि इस नाम में वाकई में दम है । हालांकि ये कंपनी चल नहीं पाई लेकिन नाम आज भी चल रहा है और पूरी दमदारी से चल रहा है। सारी दुनिया में इतने लंबे टाइम तक कोई भी हीरो नंबर वन नहीं रहा जितना अमिताभ रहे और आज भी हैं। कुछ सालों पहले जब इजराइल के प्रधानमंत्री नेतनयाहू भारत आए थे तब भारत सरकार के निमंत्रण के बावजूद भी यहां के बड़े बड़े खान स्टार्स उस आयोजन में नहीं गए थे। लेकिन अमिताभ गए थे तब भारत के प्रधानमंत्री ने खुद इजराइल के प्रधानमंत्री से परिचय कराते हुए कहा था कि ‘ये अमिताभ बच्चन हैं हमारे देश के सबसे बड़े सुपर स्टार यही हैं, इनसे बड़ा कोई और नहीं’। किसी कलाकार के लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है कि देश का प्रधानमंत्री अंतराष्ट्रीय समुदाय में इंट्रोड्यूज करे और खुद घोषित करे कि यही सबसे बड़े स्टार हैं।

आमतौर पर लोग अमिताभ की एक्टिंग की चर्चा ज्यादा करते हैं,और उसी के आधार पर उनका आकलन करते हैं लेकिन अमिताभ का व्यक्तित्व अब इतना ऊंचा है कि सिर्फ एक्टिंग के आधार पर उनको जज नहीं किया जा सकता,एक्टर तो बहुत से हुए दुनिया में लेकिन अमिताभ कोई नहीं हुआ और न ही हो सकता। एक बार राजनेता अमर सिंह ने कहा था कि ‘अमिताभ क्या चीज है यह समझने के लिए अमिताभ को नजदीक से देखना पड़ेगा उनकी फिल्में देखने से अमिताभ समझ नहीं आयेंगे’ और यह बात पूरी तरह सही हैं अमिताभ सिर्फ विजय नहीं हैं बल्कि अमिताभ बच्चन हैं जिसका मतलब है अथाह मेहनत, अनंत समर्पण, डेडीकेशन और जिंदगी से भी ज्यादा काम को महत्व देना। एक वक्त ऐसा था जब अमिताभ कई रातों तक सो नहीं पाते थे,दिन रात शूटिंग करते थे और इस कारण उन्हें बाद में अनिद्रा की बीमारी भी हो गई थी लेकिन फिर भी उन्होंने इस बीमारी की शिकायत करने के बजाए इस बीमारी को अपनी ताकत बनाया और रात रातभर शूटिंग करने लगे। एक बार इसी अनिद्रा के कारण उनकी और पूरी यूनिट की जान भी बची थी,बात यह थी कि फिल्म कस्मेवादे की शूटिंग के वक्त एक दुर्घटना हुई और उस होटल में आग लग गई जिसमें पूरी फिल्म यूनिट रुकी हुई थी,सब सो चुके थे लेकिन अमिताभ और संगीतकार कल्याण जी जाग रहे थे,गप्पे लड़ा रहे थे उन्होंने आग को देखते ही दौड़ दौड़कर सबको जगा दिया और सारी यूनिट होटल से बाहर आ गई और एक बहुत बड़ी दुर्घटना टल गई।

अमिताभ इतनी मेहनत के बाद भी कभी काम को टालते नहीं हैं चाहे उनकी तबियत खराब हो तब भी वक्त पर पहुंचते हैं। एक इंटरव्यू में अमिताभ खुद बताते हैं कि डॉन फिल्म में खईके पान बनारस वाला बाद में जोड़ा गया था और डॉन की शूटिंग पूरी होते ही अमिताभ दूसरी फिल्मों में बिजी हो चुके थे लेकिन तभी एक दिन अचानक डॉन के निर्देशक का फोन आया कि एक गाना शूट करना है तब दिन में तो अमिताभ बहुत बिजी थे इसलिए उन्होंने रात में शूट करने को कहा लेकिन रात में भी बहुत थक चुके थे और पूरी बॉडी में बहुत दर्द भी था लेकिन अमिताभ ने तब पैन किलर इंजेक्शन लगवाया और ‘खईके पानÓ गाना शूट हुआ और उनका कमाल यह कि इस पूरे गाने में कहीं भी उनके चेहरे पर दर्द या थकान नहीं दिखाई देती और इस पर उन्होंने इतना जबर्दस्त डांस किया कि पूरी फिल्म इसके कारण हिट हो गई और गाना भी अमर हो गया आज भी यह गाना उतना ही पॉपुलर है जितना तब था।

अमिताभ उस वक्त इतने बड़े स्टार थे कि यदि वे यह गाना शूट करने के लिए इनकार कर देते या तारीख टाल देते तो कोई उनको रोक नहीं सकता था लेकिन डॉन फिल्म एक तरह से चैरिटी के लिए बनाई जा रही थी क्योंकि इसकी सारी कमाई निर्माता नरीमन ईरानी के परिवार को दी जाना था, ईरानी का एक दुर्घटना में निधन हो गया था और परिवार मुफलिसी में पहुंच गया था इसलिए अमिताभ ने यह फिल्म फ्री में की थी। इस फिल्म ने इतनी कमाई की थी कि आज भी यह ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर मानी जाती है। और यह उस दौर के अमिताभ थे जब उनके एक इशारे से फिल्म इंडस्ट्री की चाल बदलती थी। रिश्ते निभाने में तब भी आगे थे और आज भी।

इसी व्यावहारिकता के कारण अमिताभ की कुछ फिल्मों में गेस्ट एपीयरेंस भी रही खासकर निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की कुछ फिल्मों में उन्होंने सिर्फ एक एक मिनिट के रोल किए और इतने में ही फिल्में हिट भी हो गईं। बासु चटर्जी की छोटी सी बात भी ऐसी ही फिल्म है जो बहुत कम बजट की सिंपल फिल्म थी लेकिन अमिताभ की एक झलक ने ही फिल्म को बहुत मुनाफे में पहुंचा दिया था। उस वक्त अमिताभ का स्टारडम ऐसा ही था। अमिताभ कितने मेहनती हैं यह तो अब सारी दुनिया देख ही रही है कि बयासी साल की उम्र में भी वे नए कलाकारों से ज्यादा काम कर रहे हैं और काम ऐसा कर रहे हैं कि उनके स्तर को और कोई छू भी नहीं सकता, इसका अनुभव शाहरुख जैसे बड़े स्टार को भी हो चुका है जब उन्होंने अमिताभ की फिल्मों की रीमेक बनाई और केबीसी भी हथिया लिया था लेकिन वो जादू पैदा नहीं कर पाए जो अमिताभ का होता था इसलिए उनका केबीसी बीच में ही बंद करना पड़ा और शाहरुख की डॉन भी अमिताभ की डॉन को टक्कर नहीं दे पाई।

अमिताभ जब भी कोई काम करते हैं तो पूरी जान लगाकर करते हैं। मैंने सत्याग्रह फिल्म के वक्त उनकी शूटिंग देखी थी तब उनकी उम्र बहत्तर साल थी लेकिन फिर भी पूरे दिन उन्होंने धूप में शूटिंग की थी वो भी अप्रैल के महीने में। अमिताभ की खास बात यह होती है कि वे शूटिंग में नए कलाकारों से ज्यादा मेहनत और बेहतर काम करते हैं यह मैने आरक्षण की शूटिंग के वक्त देखा। जब फिल्म की हीरोइन को निर्देशक बार बार समझा रहे थे तब भी रीटेक पर रीटेक हो रहे थे वहीं अमिताभ एक या दो टेक में ही काम पूरा करके बैठ जाते थे और उसी वक्त मैंने यह भी देखा कि वे अपने को स्टार की गलतियों से झुंझलाते नहीं हैं जबकि बड़े स्टार अक्सर इस तरह के नखरे करते हैं या नाराज हो जाते हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण अमिताभ इतने लंबे समय तक राज कर सके और आज भी उनमें वही जोश, जज्बा और ललक है जो जंजीर के वक्त थी।

अमिताभ आज अपने बयासी साल पूरे कर तेरासी में प्रवेश कर रहे हैं फिर भी उनकी फैन फॉलोइंग कम नहीं हुई बल्कि युवा लोग पहले से ज्यादा जुड़ गए हैं। आज भी कोई मुंबई जाता है तो अमिताभ को देखने की ख्वाहिश उसकी होती ही है,मैं कई बार जुहू बीच जाते वक्त अमिताभ के बंगले के सामने से निकला हूं,वहां आज भी उनके फैंस मिल ही जाते हैं और जिस दिन अमिताभ का जन्मदिन होता है उस दिन तो जलसा रहता ही है,आज भी यही होगा लोग उनके दरवाजे पर भीड़ लगाएंगे और फिर अमिताभ अपने चिर परिचित अंदाज में सीढिय़ों पर पर खड़े होकर सबका अभिवादन करेंगे। तब हमेशा की तरह शोर होगा और शोर होना भी चाहिए आखिर जन्मदिन भी दुनिया के सबसे बड़े स्टार का है। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं अमिताभ जी। (लेखक गीतकार हैं।)

(मुकेश कबीर)

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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