एआई का युग: हल्द्वानी से वैश्विक मंच तक की तैयारी


एआई का युग: हल्द्वानी से वैश्विक मंच तक की तैयारी
हल्द्वानी। विजएआई रोबोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा हल्द्वानी में चलाया जा रहा साप्ताहिक एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जागरूकता अभियान सफलता के नए आयाम छू रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क, डमुवाडुंगा में आयोजित कार्यक्रम में युवाओं, अभिभावकों और तकनीकी छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
डॉ. आयुषी मठपाल ने किया एआई के महत्व पर प्रकाश
कार्यक्रम का शुभारंभ विजएआई रोबोटिक्स की उपाध्यक्ष डॉ. आयुषी मठपाल ने किया। उन्होंने सभागार में उपस्थित जनसमूह का अभिनंदन करते हुए कहा, “नमस्ते हल्द्वानी! मैं इस एआई जागरूकता कार्यक्रम में आपका दिल से स्वागत करती हूं। आज हम ऐसे स्थान पर खड़े हैं जहां तकनीक की पहुंच सीमित रही है, मगर आपकी उपस्थिति साबित करती है कि बदलाव यहीं से आरंभ होता है।”
डॉ. मठपाल ने एआई के बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट करते हुए डॉ. एंड्रयू एनजी और रिचर्ड पॉटर, सीईओ व को-फाउंडर, पीक के उद्धरणों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “जैसे एक समय में बिजली ने दुनिया को बदला था, आज वही काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कर रही है। खेती, व्यवसाय, शिक्षा या स्वास्थ्य, हर जगह एआई का प्रभाव दिख रहा है। एआई हमारे काम करने और व्यवसाय चलाने के तरीके को उसी तरह बदल देगा जैसे इंटरनेट ने किया था। एआई निर्णय-निर्माण को बढ़ावा देगा और 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में $13 ट्रिलियन जोड़ने का अनुमान है।”
उन्होंने मार्क क्यूबन के कथन को भी दोहराया, “जो भी आप कर रहे हैं, अगर आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डीप लर्निंग, मशीन लर्निंग को नहीं समझते तो इसे सीखें। क्योंकि अन्यथा, आप तीन वर्षों के भीतर डायनासोर बन जाएंगे।”
डॉ. हेमचंद्र जोशी ने सरलता से समझाई एआई की अवधारणा
वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. हेमचंद्र जोशी, जो 55 वर्ष की आयु में एआई स्किल्स सीख रहे हैं, ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए सरल शब्दों में एआई की व्याख्या की। उन्होंने समझाया, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कोई जादू नहीं, बल्कि एक तकनीकी साधन है जो हमारे जीवन को आसान बना रहा है। जैसे बिजली ने हमारे घरों में रोशनी दी, वैसे ही एआई हमारे रोजमर्रा के कामों को और सरल बना रहा है।”
प्रेरणादायक कविता के साथ कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम का समापन डॉ. आयुषी मठपाल की एक प्रेरणादायक कविता के साथ हुआ:
“युद्ध नहीं जिनके जीवन में
वे भी बहुत अभागे होंगे
या तो प्रण को तोड़ा होगा
या फिर रण से भागे होंगे।”
“अपना अपना युद्ध सभी को
हर युग में लड़ना पड़ता है
और समय के शिलालेख पर
खुद को खुद गढ़ना पड़ता है।”
कविता का अर्थ स्पष्ट करते हुए डॉ. मठपाल ने कहा कि जीवन में संघर्ष और कठिनाइयाँ स्वाभाविक हैं। जो व्यक्ति इनका सामना नहीं करता, वह दुर्भाग्यपूर्ण होता है। जीवन स्वयं एक युद्धभूमि है, जहाँ प्रत्येक इंसान को अपने हिस्से का युद्ध स्वयं लड़ना पड़ता है। उन्होंने जोर दिया कि आज के एआई युग में भी यही सत्य लागू होता है; हर व्यक्ति को तकनीकी बदलावों से जूझते हुए अपने कौशल का युद्ध लड़ना होगा, और समय की चट्टान पर अपने भविष्य का नाम स्वयं तराशना होगा। जो सीखेगा, समझेगा और बदलेगा—वही आगे बढ़ेगा।
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अभियान का उद्देश्य
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य “जानिए, सीखिए, नवाचार कीजिए और भविष्य को आकार दीजिए। आइए, उत्तराखंड को एआई का अगुआ बनाएं” है। विजएआई रोबोटिक्स का लक्ष्य है कि हर व्यक्ति एआई को समझे, सीखे और अपने जीवन में उसका सही उपयोग करे, ताकि वह आने वाले समय में प्रतिस्पर्धा में पीछे न रह जाए।



