दुनिया में केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक आवश्यक हिस्सा बन गया एआई: डॉ. अरविंद जोशी

Ad
खबर शेयर करें -

दुनिया में केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक आवश्यक हिस्सा बन गया एआई: डॉ. अरविंद जोशी

डॉ. अंबेडकर पार्क में एआई जागरूकता मिलन का सफल आयोजन, विशेषज्ञों ने जताई संभावनाओं और सावधानियों की जरूरत

हल्द्वानी: विजएआई रोबोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा चलाए जा रहे साप्ताहिक एआई जागरूकता अभियान की कड़ी में शुक्रवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क, डमुवाडुंगा (पंचक्की के पास) में एक और सफल मिलन संपन्न हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवाओं, छात्रों और आम नागरिकों की उपस्थिति रही।

इस अवसर पर विजएआई रोबोटिक्स की उपाध्यक्ष डॉ. आयुषी मठपाल ने एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) की वर्तमान भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि,

“आज की दुनिया में एआई केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक आवश्यक हिस्सा बन गया है। हम अपने रोज़मर्रा के कार्यों में अनजाने में ही कई एआई टूल्स का उपयोग कर रहे हैं—चाहे वह वॉयस असिस्टेंट हो या स्मार्ट अनुशंसा प्रणाली।”

उन्होंने गूगल की अग्रणी एआई प्रयोगशाला डीपमाइंड के एक शोध का हवाला देते हुए बताया कि

“2030 तक एआई इंसानी जैसी समझदारी हासिल कर सकता है, और अगर सही दिशा न दी गई तो यह मानवता के लिए खतरा भी बन सकता है।”
इसका अर्थ है कि एक मशीन भाषा, तर्क और भावनाओं को न केवल समझ सकेगी, बल्कि बिना किसी मानव निर्देश के निर्णय लेने में भी सक्षम हो जाएगी।

डॉ. मठपाल ने जोर देकर कहा कि एआई के फायदे और नुकसान दोनों संभव हैं, इसलिए ज़रूरत है जागरूकता, नैतिकता और नागरिकों की भागीदारी की।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ डाटा वैज्ञानिक डॉ. अरविंद जोशी ने युवाओं से संवाद करते हुए कहा कि

“हमारी पीढ़ी को तकनीक से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। जब तक हम एआई को नहीं समझेंगे, हम उसके यथोचित उपयोग और संभावित खतरों से भी अनजान रहेंगे।”

उन्होंने उपस्थित युवाओं को चैटजीपीटी, डीपसीक, परप्लेक्सिटी जैसे टूल्स से परिचित कराया और हालिया खबर साझा की कि

“चीन में विश्व का पहला एआई अस्पताल स्थापित हो चुका है, जहाँ मात्र तीन दिनों में 10,000 से अधिक वर्चुअल मरीजों का इलाज हुआ—एक ऐसा कार्य जिसे इंसानी डॉक्टरों को करने में दो साल लगते।”

कार्यक्रम की विशेष उपलब्धि यह रही कि फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से भी बड़ी संख्या में लोग कार्यक्रम से जुड़े।
कई दर्शकों ने सुझाव दिया कि अल्मोड़ा जैसे अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के जागरूकता मिलन आयोजित किए जाने चाहिए।

डॉ. जोशी ने कार्यक्रम के अंत में कहा:

“हमारे एआई मिलन से जुड़िए—खोजिए, सीखिए और नवाचार कीजिए। इस आंदोलन का हिस्सा बनिए, भविष्य को आकार दीजिए। आइए, मिलकर उत्तराखंड को एआई का प्रमुख केंद्र बनाएं।”

विजएआई रोबोटिक्स की यह पहल हल्द्वानी को तकनीकी रूप से सशक्त और जागरूक समाज बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

Ad Ad Ad Ad
Ad
Ad

दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

Related Articles