बाराही धाम में मां बज्र बाराही की निकली भव्य व दिव्य शोभायात्रा
बाराही धाम में मां बज्र बाराही की निकली भव्य व दिव्य शोभायात्रा।
शोभायात्रा में दिल्ली, लखनऊ,नैनीताल, बरेली, हल्द्वानी, आदि स्थानों से श्रद्धालु हुए शामिल।
पचास हजार से अधिक लोग बने शोभा यात्रा के साक्षी।
देवीधुरा। बाराही धाम में बग्वाल के दूसरे दिन यहां मां बज्र बाराही की भव्य व दिव्य शोभा यात्रा निकली जिसके पचास हजार से अधिक श्रद्धालु साक्षी बने। सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्रों से उपवास रखकर मां बाराही का आशीर्वाद लेने के लिए लोगों के आने का क्रम शुरू हो गया था। बग्वाल के दिन ही नंदगृह में ताम्र पेटिका में विराजमान मां बाराही, मां महाकाली व मां सरस्वती को स्थापित कर दिया गया था। आज सुबह पीठाचार्य कीर्ति शास्त्री, आचार्य भुवन चंद्र शास्त्री ने पूर्ण विधि विधान से पूजा संपन्न कराई।
परंपरा के अनुसार बागड़ जाति के धन सिंह बागड़ ने अपनी आंखों में पट्टी बांधकर तथा ऊपर से काला कंबल डालकर तीनों देवियों को दूध व पंचामृत से स्नान करा कर नए परिधान व आभूषण धारण कराए गए। नंदगृह में सोमवार की रात से ही निसंतान महिलाएं हाथ में दीप व अक्षत लेकर पुत्र प्राप्ति की कामना करती रही। उनका निराहार रहकर यह क्रम आज सुबह तक जारी रहा। पूजा अर्चना के बाद मंदिर के पुजारी ने पान सिंह गहडवाल को मूर्ति सौपी।
इसके बाद मां बाराही का जयकारा करते हुए शोभायात्रा निर्धारित मार्ग से होते हुए मुचकंद ऋषि के आश्रम में पहुंची। पुराणों के अनुसार देवासुर संग्राम में ऋषि द्वारा देवगणों की सहायता करने के लिए मां ने उन्हें चिर निद्रा का वरदान दिया था तथा आज ही के दिन स्वयं ऋषि को दर्शन देने को कहा था।
तब से बाराही धाम के ऊंचे शिखर में स्थित मुचकंद ऋषि के आश्रम में शोभा यात्रा के साथ मां बाराही आती हैं तथा पांच बार इस स्थान की परिक्रमा कर कुछ समय के लिए यहां पूजा अर्चना एवं दर्शन किए जाते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान हिमालय से भगवान शिव एवं अन्य देवी देवता भी मां बाराही के दर्शन करते हैं। इसके बाद शोभायात्रा अपने गंतव्य स्थान की ओर लोट आती है।
प्राचीन लोक परंपराओं के अनुसार मां की शोभायात्रा में चारों खामों के प्रमुख व पडतीदार गांव के लोग भी शामिल होकर मां बाराही की रक्षा करते हैं कि कोई निशाचरी प्रवृत्ति इस कार्य में विघ्न न डालें। शोभायात्रा के साथ मंदिर कमेटी के संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया, चेतन भैया, खीम सिंह लमगड़िया, बाराही मंदिर के ट्रस्टी दिनेश जोशी, राजेश बिष्ट, ट्रस्ट के संयोजक चंदन लमगड़िया, रोशन लमगड़िया, दीपक बिष्ट, बिशन सिंह चम्याल, हयात सिंह बिष्ट, दीपक चम्याल, आदि तमाम लोग शामिल थे।