हरियाणा में होगा मानवता का समागम, 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की जोर शोर से तैयारियां
*हरियाणा में होगा मानवता का समागम, 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की जोर शोर से तैयारियां*
◆ मानवता के इस महासंगम में हर धर्म प्रेमी भाई -बहन का स्वागत
कोटद्वार(चन्द्रपाल सिंह चन्द)। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की असीम कृपा से संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी निरंकारी परिवार का तीन दिवसीय 77वां वार्षिक संत समागम प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी आयोजित होने जा रहा है। आध्यात्मिकता का आधार लिए इस समागम पर दिए जाने वाला प्रेम, शांति और एकत्व का सन्देश समस्त मानवता के कल्याण के लिए होता है। इस संत समागम की भव्यता केवल इसके क्षेत्रफल से रेखांकित नहीं बल्कि देश -विदेश से यहां पधारने वाले लाखों श्रद्धालु भक्तों के भावों से इंगित होती है।
हरियाणा में तीन दिवसीय 17,18 व 19 नवम्बर को।आयोजित संत समागम में भक्ति के अनेक पहलुओं पर गीत, विचार और कविताओं आदि के माध्यम से भक्त अपने शुभ भाव प्रकट करेंगे। सतगुरु माता जी व निरंकारी राजपिता जी के प्रवचनों का अनमोल उपहार भी सभी उपस्थित भक्तों को प्राप्त होगा।
इस वर्ष सतगुरु माता जी ने समागम का विषय “विस्तार, असीम की ओर” दिया है। निरंकारी संत समागम मानवता का एक ऐसा दिव्य संगम होता है। जहां धर्म, जाति, भाषा, प्रांत और अमीरी-गरीबी आदि के बंधनों से ऊपर उठकर सभी मर्यादित रूप से प्रेम और सौहार्द के साथ सेवा, सुमिरण और सत्संग करते हैं। यह उसी सन्देश का अनुसरण है जो सभी संतों, पीरों और गुरुओं ने समय -समय पर दिया है।
निरंकारी संत समागम के विशाल रूप को प्रभावशाली और सुचारु रूप से आयोजित करने के लिए निरंकारी मिशन के भक्त एवं सेवादार देश के कोने -कोने से महीनों पहले ही आकर अपनी निष्काम सेवाएं समर्पित करते हुए तैयारियों में जुट जाते हैं। समागम सेवाओं का यह दृश्य अपने आप में अत्यंत प्रेरणादायक और मनोरम होता है। इस वर्ष भी देखा गया कि प्रातः काल से ही सेवाएं प्रारम्भ हो जाती हैं जहाँ हर आयु वर्ग के नर नारी अनेक प्रकार की सेवाओं को सरंजाम दे रहे हैं।
सेवादारों के हाथों में मिटटी के तसले होते हैं और जुबान पर भक्ति भाव से भरे मधुर गीत। कहीं जमीन को समतल किया जा रहा है तो कहीं टेंट लगाए जा रहे हैं। सेवादल की वर्दी में नौजवान भाई बहन अपने अधिकारियों के निर्देशानुसार मैदान पर अनेक प्रकार की सेवाओं में रत हैं। लंगर, कैंटीन व प्रकाशन समेत ऐसी अनेक सुविधाएँ सुचारु रूप से चल रही हैं। जिनका रूप आने वाले दिनों में और विशाल होता चला जायेगा। जो सामाजिक गतिविधियां देखने में लग रही हैं उसका आधार पूर्णतः आध्यात्मिक है।
सभी एक दूसरे में परमात्मा का रूप देखकर एक दूसरे के चरणों में ‘धन निरंकार जी’ कहते हुए झुक रहे हैं। ‘विद्या ददाति विनयम’ का ये जीवंत उदाहरण प्रतीत होता है। सबके चेहरों पर एक रूहानी आभा है. जो उनके मन के विश्वास और संतोष को प्रकट कर रही है। सेवा कर रहे इन भक्तों के हर्ष और आनंद की पराकाष्ठा तब देखने को मिलती है, जब सेवा करते हुए उन्हें अपने सत्तगुरु के दर्शन हो जाते हैं। उस पल गुरसिखों के हृदय झूमने लगते हैं. गाने लगते हैं, नाचने लगते हैं। इसी स्वर्गीय नजारे का सभी श्रद्धालु पूरा साल इंतजार करते हैं।
संत निरंकारी मंडल के सचिव एवं समागम के समन्वयक जोगिन्दर सुखीजा ने बतलाया कि सभी संतों के रहने, भोजन, शौच, स्वास्थ्य, सुरक्षा, आगमन प्रस्थान व अन्य सभी मूल-भूत सेवाओं की तैयारी की जा रही है। राज्य के प्रशासन से भी हर प्रकार का सहयोग प्राप्त हो रहा है और समागम के आयोजन से जुड़े हर वैधानिक पहलू को ध्यान में रखते हुए ही सारी व्यवस्था की जा रही है। कुछ ही दिनों में यह आध्यात्मिक स्थल एक भक्ति के नगर का रूप ले लेगा जहाँ विश्व से लाखों संत महात्मा सम्मिलित होंगे।