(उत्तराखण्ड) हल्द्वानी। जनता की पसन्द बने कौस्तुभानंद, जोशी की आमद से सियासी गलियारों में कौतूहल, मेयर पद दावेदारी के दिए संकेत
(उत्तराखण्ड) हल्द्वानी। जनता की पसन्द बने कौस्तुभानंद, जोशी के आमद से सियासी गलियारों में कौतूह
भास्कर पोखरियाल, वरिष्ठ पत्रकार
हल्द्वानी। प्रदेश में निकाय चुनाव की रणभेरी कभी भी बज सकती है, इसलिए राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं। और इस मामले में भाजपा दो कदम आगे चल रही है। पार्टी संगठन द्वारा दमदार, कर्मठ और ईमानदार प्रत्याशियों की तलाश की जा रही है। कहीं-कहीं अंदर खाने अच्छे प्रत्याशियों की खोज की जा चुकी है। हल्द्वानी इसमें पहले नंबर पर है।
यहां भाजपा से मेयर पद के लिए कौस्तुभानन्द जोशी का दावा मजबूत बताया जा रहा है। दरअसल हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव शीघ्र कराने के आदेश दिए थे, लेकिन प्रदेश सरकार ने इसके लिए 25 अक्टूबर तक का समय मांगा था, लेकिन अब यह वक्त भी निकल गया है, इसलिए अब कभी भी निकाय चुनावों की तिथियां घोषित हो सकती हैं। और इस गहमा-गहमी के बीच संभावित प्रत्याशियों की दावेदारी भी तेज होने लगी है। वहीं, सभी संभावित प्रत्याशी निकाय चुनाव में आरक्षण और सीटों के बदलाव की स्थिति पर भी नजरें गड़ाए बैठे हैं।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में हल्द्वानी नगर निगम में मेयर पद को लेकर दावेदारी करने वालों की लिस्ट भी बढ़ती जा रही है। इसी के मद्देनजर पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने हल्द्वानी आकर अपने कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली थी, जिसके बाद भाजपा के कई महिला और पुरुष प्रत्याशी अपनी दावेदारी करते नजर आए, लेकिन फिलहाल इस दौड़ में कौस्तुभानन्द जोशी सबसे आगे चल रहे हैं। पार्टी उनकी साफ छवि और कर्मठता का ईनाम उन्हें दे सकती है। श्री जोशी समाज सेवा का अच्छा काम कर रहे हैं और उनकी ईमानदार छवि भी है, इसलिए वे पार्टी के लिए अधिक भरोसेमंद साबित हो सकते हैं।
अच्छी बात यह है कि उनकी संगठन में भी अच्छी पकड़ है और उन्हें काम करने का भी अच्छा अनुभव है। वे अभी वर्तमान में दूसरी बार भाजपा प्रदेश कार्यालय प्रभारी हैं। संगठन में अच्छे काम करने पर दूसरी बार संगठन ने उन्हें कार्यालय का प्रभार सौंपा है और भरोसा जताया है। वे संघ में भी कई अहम पदों पर रहे हैं।
वहीं, वर्तमान मेयर डॉ. जोगेंद्र के अलावा भुवन जोशी, प्रकाश रावत, प्रकाश हरबोला, प्रमोद तौलिया, हरीश आर्या, जितेन्द्र मेहता, दिनेश रंधावा, पनराम महिलाओं में सुमित्रा, रित्तु डालाकोटी,रेनू अधिकारी, विजया लक्ष्मी चौहान, शान्ति भट्ट समेत दर्जनों पदाधिकारी कार्यकर्ता हैं। उधर, नगर निगम के लिए कांग्रेस से 19 लोगों ने मेयर पद के लिए दावेदारी पेश की है। इन 19 नेताओं में से 11 पुरुष और 8 महिलाएं शामिल हैं। जहां पूर्व के चुनावों में भाजपा में मेयर पद के दावेदारों की लिस्ट छोटी थी, लेकिन अब नगर निगम चुनाव में यह लिस्ट लंबी है और सभी दावेदार जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं।
अब देखना ये है कि कब चुनाव होगा, कौन प्रत्याशी होगा और किसके सर ताज सजेगा, जल्द ही इसकी तस्वीर साफ हो जाएगी। कौस्तुभानंद जोशी का अभिनव भारत संगठन है, वे उसके अध्यक्ष हैं। उसमें इन्होंने हल्द्वानी में बहुत काम किये हैं। वे हल्द्वानी में एक साफ छवि के नाम से जाने जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुश्कर सिंह धामी ने राज्य में विकास कार्यां को सर्वोपरि प्राथमिकता दी है। वे विकास की बयार को गांवों तक ले जाने में लगे हैं। यही वजह है कि भाजपा प्रदेश में लगातार चुनाव जीत रही है। 2017 से अब तक भाजपा ने यहां पांच चुनाव जीत लिए हैं और वह जनहित के कार्यां के दम पर अपना जनाधार बढ़ाने में निरंतर सफल हो रही है।
लोक सभा की सभी पांचों सीटें जीतने के बाद अब केदारनाथ उप चुनाव में भी भाजपा की जीत की प्रबल संभावना है। भाजपा के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं और इसका उन्हें जनता जरूर आशीर्वाद देगी। और इसके बाद भाजपा नए विश्वास के साथ निकाय चुनावों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी। और अब दिसंबर में निकाय चुनाव संपन्न कराए जाने की प्रबल संभावना है।
निर्वाचन आयोग तैयारियों में जुटा
सरकार ने सभी 13 जिलों में परिसीमन का काम पूरा कर लिया है। चुनावों के लिए ग्राम पंचायतों के परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया पूर्ण हो गई है। इस बार कुल 50 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई हैं और 13 ग्राम पंचायतें निरस्त की गई हैं। कुल 37 नई ग्राम पंचायत अस्तित्व में आई हैं। पिछली बार जब चुनाव हुए थे, तब उत्तराखंड में कुल 7795 ग्राम पंचायतें थीं, जो अब बढ़कर 7832 हो गई हैं। उत्तराखंड में दिसंबर में पंचायत चुनाव होने हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
उत्तराखंड में अक्टूबर में चुनाव होने थे और राज्य सरकार उसी के हिसाब से तैयारियां कर रही थी, लेकिन विधानसभा में ओबीसी आरक्षण संशोधन विधेयक पेश होने के कारण चुनाव की तारीख में बदलाव किया गया।
बताते चलें कि उत्तराखंड में पहले दो से ज्यादा बच्चे वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते थे, लेकिन अब दो से ज्यादा बच्चे वाले माता-पिता भी चुनाव लड़ सकेंगे। हाईकोर्ट ने दो से ज्यादा जीवित बच्चों वाले उम्मीदवारों के लिए चुनाव लड़ने की कटऑफ तारीख तय कर दी है। हाईकोर्ट के मुताबिक, 25 जुलाई 2019 से पहले जिनके बच्चे जीवित हैं, वे पंचायत चुनाव में अपनी उम्मीदवारी का दावा कर सकते हैं।