“रामलीला मेरे जीवन की आत्मा है” 19 वर्षों से रावण का किरदार निभा रहे योगेश भट्ट

“रामलीला मेरे जीवन की आत्मा है” 19 वर्षों से रावण का किरदार निभा रहे योगेश भट्ट
पंकज पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
पिथौरागढ़। टकाना रामलीला मंच पर बीते 19 वर्षों से रावण का दमदार अभिनय कर रहे योगेश भट्ट आज न सिर्फ दर्शकों की पहली पसंद बने हुए हैं, बल्कि अपनी सहजता और अनुशासन के कारण रामलीला समिति के लिए भी स्तंभ समान हैं। सरल और सामान्य जीवन जीने वाले योगेश का मानना है कि अभिनय उनके लिए केवल मंच की कला नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और संस्कृति को जीवित रखने का माध्यम है।
व्यक्तिगत परिचय
योगेश भट्ट मूल रूप से ग्राम हराली, तहसील देवलथल, पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं। वर्तमान में वे टकाना, पिथौरागढ़ में निवास करते हैं। उच्च शिक्षा में परास्नातक और बीपीएड की उपाधि प्राप्त करने वाले योगेश इस समय निदेशक, लोक संचार एवं विकास समिति पिथौरागढ़ और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी (मानव संसाधन विकास विभाग), मानस कॉलेज ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, पिथौरागढ़ में कार्यरत हैं।
उनके शौक अध्ययन, घूमना, गायन और रंगमंच हैं
टकाना रामलीला : सांस्कृतिक धरोहर ही नहीं वहां के निवासियों की पहचान भी
योगेश भट्ट कहते हैं
“उत्तराखंड सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है और कुमाऊँनी रामलीला इसका अनूठा उदाहरण है। 160 वर्ष से अधिक पुरानी इस परंपरा में गीत-नाट्य शैली की विशेष छाप देखने को मिलती है। पिथौरागढ़ की टकाना रामलीला सात-आठ दशक पहले सरकारी कर्मचारियों की पहल पर शुरू हुई थी। उस समय जब बिजली, संचार और परिवहन की सुविधाएं नहीं थीं, तब यह मंचन मशालों और पेट्रोमैक्स की रोशनी में हुआ करता था।”
आज टकाना रामलीला में 85 वर्षीय प्रसिद्ध संगीतज्ञ श्री केदार भट्ट, श्री दिनेश उपाध्याय और श्री भुवन पांडे जैसे कलाकारों का योगदान अमूल्य है। यहां अभिनय के साथ-साथ गायन को विशेष महत्व दिया जाता है। एक माह पूर्व शुरू होने वाली ‘तालीम’ के दौरान पात्रों को संवाद, अभिनय, गायन और नृत्य सिखाए जाते हैं।
रामलीला में राम जन्म से लेकर राम-राज्याभिषेक तक सभी प्रसंग मंचित किए जाते हैं। नारद मोह, ताड़िका वध, परशुराम-लक्ष्मण संवाद, सीता हरण, अंगद-रावण संवाद, लंका दहन और राम-रावण युद्ध जैसे दृश्य दर्शकों को रोमांचित कर देते हैं।
रावण बनने की यात्रा
योगेश भट्ट जी बताते हैं….
“मैंने रावण के रूप में शुरुआत नहीं की थी। 1997 से रामलीला मंच से जुड़ा और वानर, सुबाहु, खरदूषण, हनुमान व विभीषण जैसे कई पात्र निभाए। वर्ष 2007 में जब तत्कालीन रावण स्वास्थ्य कारणों से अभिनय नहीं कर सके, तब मुझे रावण की भूमिका दी गई। तभी से आज तक लगातार 19 वर्षों से मैं यह किरदार निभा रहा हूं।”
प्रेरणा और सहयोग
योगेश की सबसे बड़ी प्रेरणा टकाना रामलीला के वरिष्ठ कलाकार और कार्यकर्ता रहे हैं। वे विशेष रूप से स्व. अर्जुन महर जी का नाम लेते हैं, जिनका अनुशासन और समर्पण आज भी उन्हें मार्गदर्शन देता है।
रावण के रूप में तैयार होने में उनका विशेष सहयोग श्री यशवंत महर करते हैं, जो न केवल उनका मेकअप संभालते हैं बल्कि सामाजिक सरोकारों और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी बड़ा नाम हैं।
निर्देशक की भूमिका
रामलीला के सफल मंचन में योगेश अभिनय के साथ-साथ निर्देशन की जिम्मेदारी भी निभाते हैं। वे कहते हैं –
“टकाना रामलीला अनुशासन और मर्यादा पर आधारित है। यहाँ अधिकतर पात्र कर्मचारी वर्ग से होते हैं, जिनका समय-समय पर स्थानांतरण हो जाता है। ऐसे में नए पात्रों को तैयार करना बड़ी चुनौती होती है। लेकिन तालीम और अनुशासन के बल पर सबकुछ सुचारू हो जाता है। अभिनय निर्देशन में मैं और श्री यशवंत महर मिलकर जिम्मेदारी निभाते हैं।”
सबसे प्रिय अभिनय
योगेश को रावण का किरदार सबसे प्रिय है। वे कहते हैं –
“पहले परिवार से थोड़ी आपत्ति रहती थी, लेकिन अब सबको गर्व है कि मैं समाज और संस्कृति के लिए अच्छा काम कर रहा हूं। कार्यक्षेत्र में भी वरिष्ठ मुझे प्रोत्साहित करते हैं। जब दर्शकों से सराहना मिलती है, तो सारे विरोध गौण हो जाते हैं और मनोबल बढ़ता है।”
निष्कर्ष
19 वर्षों से रावण का अभिनय कर रहे योगेश भट्ट के लिए रामलीला केवल मंचन भर नहीं है, बल्कि समाज, संस्कृति और परंपरा को जोड़ने का एक माध्यम है। उनकी यह निरंतर साधना और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।

