युवा का काश्तकार कमल ने बंजर जमीन में सेब की खेती कर पेश की मिसाल

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प्रसून अग्रवाल/दया जोशी
चंपावत। पलायन की मार झेल रहे उत्तराखंड में चंपावत जिला मुख्यालय दुधपोखरा निवासी कमल गिरि युवा काश्तकार ने एक मिसाल कायम की है। उत्तराखंड के उन युवाओं और लोगों के लिए उन्होंने एक उदाहरण पेश किया है जो कहते हैं कि पहाड़ की जमीन में कुछ नहीं हो सकता और यहां रोजगार नहीं मिल सकता। कमल ने सेब की खेती करके अपने साथ-साथ पूरे चंपावत जिले और राज्य का नाम रोशन किया है। चंपावत जिले को आदर्श जिला बनाने की ओर यह उनका अभिनव प्रयास है। इस युवा किसान ने पहाड़ की बंजर भूमि को सिंचकर सेब और कीवी बगीचा तैयार किया है । जिसमें 500 पेड़ सेब के और 50 पेड़ कीवी के एक बड़ा पॉलीहाउस जिसमें सब्जी उत्पादन होता है लगाया है। साथ ही 20 बक्से मधुमक्खी पालन के भी लगाए हैं। उद्यान विभाग से भी उन्हें सहयोग मिल रहा है। 80% सब्सिडी में पॉलीहाउस मिलाहै। साथ ही कीवी मिशन के तहत उन्हें उद्यान विभाग से कीवी के पौधे भी मिले हैं। 3 साल पूर्व लगाए गए सेब के पौधों में इतना फल आया है जिसकी उन्होंने उम्मीद ही नहीं की थी।
दरअसल उत्तराखंड का पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश सेब की बागवानी के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। वहां के लोगों की आर्थिक आय में सेब की बागवानी का काफी अहम रोल है। कमल ने 3 साल पहले 50 नाली भूमि में सेब के पौधे लगाए थे शुरू में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जंगली जानवर पौधों और फल को नष्ट कर रहे थे जिसके लिए उन्होंने तार बाड़ लगे लेकिन उससे कुछ हद तक जंगली जानवरों को रोकने में मदद मिली लेकिन अब जब सब के पेड़ों में फल लगने लगे तो बंदर और पक्षियों ने फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू किया उसके बाद उन्होंने झटका मशीन के साथ बगीचे को ढकने के लिए जाल का प्रयोग किया। जिसमें उनके 3.50 लख रुपए से अधिक का खर्चा आया।

उन्होंने बताया कि एक तरफ जहां बंजर भूमि थी, वहीं दूसरी तरफ रोजगार का कोई साधन नहीं था. लेकिन उन्होंने हौसला और उम्मीद नहीं खोया. फिर उन्होंने खेती को लेकर प्रशिक्षण लिया और जिले सब की खेती कर रहे किसानों से मिले। सेब की खेती से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कर्ज लेकर 500 पेड़ सब के लगाए। जिसमें रेड गाला, ग्रीन स्वीट, डेलिसस आदि सब की प्रजाति लगाई है।
पेड़ पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन का प्रयोग करते हैं अपना पूरा दिन वह अपने बगीचे में ही भी बताते हैं। कीटनाशक भी घर में ही तैयार किया है। पौधों में जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं। 40 से 50 दिन में उनकी सब की खेती तैयार हो जाएगी।
जिला उद्यान अधिकारी टीएन पांडे ने बताया कि कमल गिरी एक उन्नत का शिकार है उद्यान विभाग से उन्हें विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया गया है आगे भी विभाग उनका सहयोग करेगा।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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