*बांग्लादेश की अस्थिरता पर भारत की रणनीति- शांति स्थापना एवं धर्मनिरपेक्षता बनाये रखना चुनौती*

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*बांग्लादेश की अस्थिरता पर भारत की रणनीति- शांति स्थापना एवं धर्मनिरपेक्षता बनाये रखना चुनौती*

बांग्लादेश में नौकरी कोटा के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन जारी है, जो सत्तावादी नीतियों और विपक्ष के दमन से प्रेरित है, जिसके कारण काफी अशांति पैदा हो गई है, जो वर्ष 2008 में शेख हसीना के कार्यकाल के बाद से सबसे बड़ी अशांति है। शेख हसीना के जाने से कोविड-19 महामारी से देश की आर्थिक सुधार को लेकर चिंताएँ पैदा हो गई हैं, जो पहले से ही बढ़ती मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन से प्रभावित है।बांग्लादेश की सेना अंतरिम सरकार बनाने के लिए तैयार है, जो स्थिति की अस्थिरता को दर्शाता है।

कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों की संभावित वापसी बांग्लादेश के धर्मनिरपेक्ष शासन को खतरे में डाल सकती है। भारत ने शेख हसीना के रूप में एक महत्त्वपूर्ण साझेदार खो दिया है, जो आतंकवाद का मुकाबला करने और द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में आवश्यक भूमिका निभा रही थी।
हसीना के नेतृत्व में भारत को सुरक्षा मामलों पर बांग्लादेश के साथ मिलकर काम करने का अवसर मिला, लेकिन राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव के कारण अब यह संबंध खतरे में है।

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय व्यापार 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिससे बांग्लादेश उपमहाद्वीप में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बन गया। हसीना के प्रशासन के तहत दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता तहत अधिकांश टैरिफ लाइनों पर शुल्क मुक्त पहुँच प्रदान की गई थी। उनके प्रशासन के प्रति भारत का समर्थन अब एक दायित्व बन गया है, क्योंकि उनकी अलोकप्रियता और विवादास्पद शासन भारत की क्षेत्रीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है।

*भारत के लिये बांग्लादेश का महत्त्व*

यह देश व्यापार और परिवहन के लिये एक महत्त्वपूर्ण गलियारे के रूप में कार्य करता है, जो पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच को सुविधाजनक बनाता है। क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये एक स्थिर और मैत्रीपूर्ण बांग्लादेश आवश्यक है। आतंकवाद-रोधी, सीमा सुरक्षा तथा अन्य सुरक्षा मामलों पर सहयोग दक्षिण एशिया में शांति बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।

यह आर्थिक संबंध भारत की विदेश व्यापार नीति के लक्ष्यों का समर्थन करता है तथा 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के उसके लक्ष्य में योगदान देता है।
भारत को यह अनुमान लगाना चाहिये कि पाकिस्तान और चीन बांग्लादेश की स्थिति से फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।

इन जोखिमों को कम करने के लिये अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों सहित अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करना महत्त्वपूर्ण होगा।
भारत को बांग्लादेश के आर्थिक स्थिरीकरण और चरमपंथी प्रभावों का मुकाबला करने के लिये यूएई और सऊदी अरब जैसे खाड़ी भागीदारों के साथ कार्य करना चाहिये। यह सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और बांग्लादेश को अपने पारंपरिक सहयोगियों से दूर जाने से रोकने में मदद कर सकता है।

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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