चम्पावत जिले के 280 नौलों का इंटेक करेगी संरक्षण, चंद और कत्यूरी शासन के समय से मौजूद हैं नौले

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चम्पावत मुख्यालय में स्थित प्राचीन और सुप्रसिद्ध एकहत्या नौला

चंपावत। उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र प्राकृतिक जलस्रोतों से परिपूर्ण हैं, मगर वर्तमान में इनकी जगह घर-घर में लगे नल, हैंडपंपों ने ले ली है। इसके बावजूद भी पहाड़ में पेयजल के हाहाकार मचा है। इसी को देखते हुए इंटेक संस्था ने जिले के 280 नौलों के जीर्णोद्धार का जिम्मा लिया है।
जिले में चंद राजाओं और कत्यूरी शासन काल से सैकड़ों पेयजल के मुख्य स्रोत नौले जीर्ण-शीर्ण पड़े हैं। पेयजल की समस्या के काफी हद तक निदान और पुरातन संस्कृति के संरक्षण के उद्देश्य से इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज यानी इंटेक संस्था ने यह जिम्मेदारी ली है। संस्था ने चम्पावत जिले के 280 नौलों का चिन्हीकरण किया है। इनमें से कुछ नौले चंद और कत्यूरी शासकों के समय के हैं। जिन्हें पत्थरों में नक्काशी करके बनाया गया है। जिसमें एकहत्या नौला, रानी का नौला, रुक्मणी नौला, मानेश्वर का नौला,नाग नाथ का नौला, पाटन का नौला आदि शामिल हैं। इनकी स्थापत्य कला अद्भुत है। नौलों के संरक्षण और सौंदर्यकरण से जहां क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा वहीं पेयजल की भी आपूर्ति होगी।

जिले में इंटेक संस्था ने 280 नौलों को जीर्णोद्धार के लिए चयनित किया है। प्रथम चरण में 10 नौलों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। अरविंद गौड़, जिला पर्यटन अधिकारी, चम्पावत

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दया जोशी (संपादक)

श्री केदार दर्शन

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